कलम तेरी मुस्तैद रही तो बदलेगा संसार लिख-मजबूर गाजियाबादी

अब तो मेरे यार लिख
क्या है तेरा विचार लिख
कलम तेरी पहचान है प्यारे, 
खुल कर तू हर बार लिख।
पथराई आंखें पढ़ लेगीं,
सच्चाई दमदार लिख।
मानव जीवन से अब तेरा,
रिश्ता क्या है यार लिख।
भूखा बचपन चौराहों पर, 
क्यूॅ बेचे अखबार लिख।
हुक्कामों पर करे हकूमत,
पायल की झंकार लिख।
जो पलता हो लाशों पर ,
वो धर्म नही धिक्कार लिख।
सामाजिक सदभाव का दुश्मन,
वोट का कारोबार लिख।
विश्वासों के मोल तोल में, 
संसद बनी बाजार लिख।
हर दंगे का दोषी हर इक, 
धर्म का ठेकेदार लिख।
समरसता का राग अलापै,
नफ़रत के औजार लिख।
तेरी भी हिस्सेदारी है? 
सत्ता को व्यापार लिख।
कबिरा नानक की वाणी मे, 
क्यूॅ मिलता है प्यार लिख?
केवल राम रहीम ही क्यॅू,
उसके नाम हजार लिख।
कलम तेरी मुस्तैद रही तो, 
बदलेगा संसार लिख।